हिंदुओं को लुभाने की कोशिश में ममता 


गत वर्ष लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 सीटों में से भाजपा ने अभूतपूर्व 18 सीटों पर कब्जा किया था और तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिलीं थीं। नतीजों के बाद से ही राज्य में सत्ता परिवर्तन की हलचल मचनी शुरू हो गई थी। तृणमूल के कई नेताओं ने भाजपा का दामन भी थाम लिया। हालांकि वक्त गुजरने के साथ ही तृणमूल ने अपनी स्थिति को मजबूत किया और उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर की संभावना जतायी जा रही है। तृणमूल के साथ अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी हैं। बताया जाता है कि पिछले कुछ महीनों से कमोबेश सभी सरकारी कदमों के संबंध में पीके(प्रशांत किशोर) सलाह दे रहे हैं। 

अब तक ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं। यह भी देखा गया है कि हिंदीभाषी इलाकों में भाजपा की पकड़ मजबूत रही है। लिहाजा अब स्थिति को बदलने के लिए ममता बनर्जी ने कमर कस ली है। ममता बनर्जी व राज्य सरकार की छवि को बदलने के लिए जम कर काम किया जा रहा है। 

इस दिशा में गरीब सनातनी पंडितों को मासिक हजार रुपये के भत्ते की घोषणा की गयी है। ममता बनर्जी ने ऐसे करीब आठ हजार सनातनी पंडितों को मासिक एक हजार रुपये भत्ता देने की घोषणा की है जो बेहद जरूरतमंद हैं। ममता बनर्जी ने उन गरीब पंडितों के लिए घर न होने की सूरत में 'बांग्ला आवास योजना' के तहत घर बनाने की पेशकश भी की है। साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि उनके कदमों का मतलब कुछ और न निकाला जाये। यह और बात है कि विपक्षी पार्टियों ने उन पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। 

ममता बनर्जी पर हिंदू विरोधी कदम उठाने के आरोप पूर्व में लगते रहे हैं। लिहाजा केवल सरकारी घोषणाओं में  ही नहीं बल्कि वादों में भी अपनी छवि को बदलने की कोशिश वह करती दिख रही हैं। ट्वीटर पर ममता बनर्जी ने लिखा है कि वह शपथ लेती हैं कि दुर्गा पूजा के आनंद से किसी को वंचित नहीं होने दिया जायेगा। गौरतलब है कि सोशल मीडिया में ऐसे फर्जी खबरें चलने लगीं थीं जिनमें दावा किया जा रहा था कि राज्य सरकार ने दुर्गा पूजा पर कठोर पाबंदी लगाने की घोषणा की है। पुरजोर तरीके से ममता ने इन दावों का खंडन किया है। 

दक्षिण कोलकाता के विख्यात, रवींद्र सरोवर में छठ पूजा के आयोजन के लिए भी राज्य सरकार ने अपना समर्थन जता दिया है। सरकार के तहत काम करने वाली केएमडीए ने ग्रीन ट्राइब्यूनल में उक्त सरोवर में छठ पूजा करने की अपील भी की। इसका विरोध पर्यावरण प्रेमियों ने किया। उनका आरोप था कि छठ पूजा से सरोवर के पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। हालांकि राज्य सरकार का कहना था कि सरोवर का इस्तेमाल एक दिन की पूजा के लिए किया जा रहा है और कुछ घंटों में ही उसे पूर्व की तरह कर दिया जायेगा। ग्रीन ट्राइब्यूनल में उसकी याचिका खारिज होने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने की घोषणा की है। विपक्ष की ओर से सरकार के इस कदम को भी वोटबैंक पॉलिटिक्स करार दिया जा रहा है। 

हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हिंदुओं को लुभाने की यह कोशिश ममता बनर्जी के लिए अधिक कारगर साबित नहीं हो सकती। भाजपा की पकड़ उस वोटबैंक पर खासी मजबूत है। ममता बनर्जी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके मौजूदा वोट, इस चक्कर में कहीं खिसक न जायें। 

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