फेक न्यूज का बाजार

फेक न्यूज का बाजार 

भारत में खबरों के बाजार में तेजी से बदलाव आया है. खबरों के बीच में से असली खबरें चुनना भी एक कला है. हर ओर एजेंडा नजर आता है. लेकिन वो बातें फिर कभी. जो चलन भयावह तरीके से सामने आ रहा है वह है न्यूज चैनलों के लोगो(Logo )  का इस्तेमाल करके मनमाफिक फर्जी खबरों को वायरल करना. आम तौर पर सोशल मीडिया में इसका अधिक इस्तेमाल देखा जा रहा है. व्हाट्सऐप और फेसबुक के जरिये इन्हें वायरल किया जाता है. लेकिन हकीकत क्या है इसके पीछे...कौन लोग हैं जो ऐसा करते हैं...उनका मकसद क्या है...
इसका जवाब जानने से पहले हमें भारतीय राजनीति के परिदृश्य को समझना होगा. यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय राजनीति में चुनाव में जीत ही मूल है..असल है..अफसोस की बात है कि यह स्थापित मानक हो गया है कि जो चुनाव में जीता, वही सही है. इस नीति का पालन तमाम राजनीतिक दल करते हैं. चुनावी जंग अब पोस्टर वार तथा नारेबाजी से आगे बढ़ कर हमारे-आपके मोबाइल और कंप्यूटर में पहुंच गयी है. हम आँखें खोलने के जब सबसे पहले मोबाइल ऑन करते हैं और नेट चालू करके सोशल साइट्स पर पहुंचते हैं तो इन अवसरों की ताक में रहने वाले लोग भी तैयार रहते हैं. आपको अपने एजेंडा का डेली डोज पहुंचाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ते. यानी...फेक न्यूज के जरिये राजनीतिक एजेंडो को सेट किया जाता है. अब इसके साथ न्यूज चैनलों के लोगो का इस्तेमाल करके अपने फेक न्यूज...अपने एजेंडो को वास्तविक रूप देने की कोशिश होती है. 
माना जाता है कि ऐसा करने वाले बकायदा वेतनभोगी कर्मचारी होते हैं. राजनीतिक दल इस दिशा में खासा पैसा खर्च करते हैं. जब तक चुनाव आता है ये फेक न्यूज, आपके दिलों-दिमाग पर अच्छा-खासा इम्प्रैशन बना चुके होते हैं. आपके स्वतंत्र सोचने-समझने की शक्ति को वह हर लेते हैं. बदले में उनकी राजनीतिक स्वार्थि सिद्धि होती है. 


टिप्पणियाँ

  1. Bilkul sahi bat ... Par samjh me tb ati h jab news viral ho jati h

    जवाब देंहटाएं
  2. आम आदमियों की भी इसमें भागीदारी हो गयी है। हम लोगों को कुछ भी फॉरवर्ड करने से पहले उसके सही होने की पुष्टि करनी चाहिए लेकिन अक्सर लोग कोई भी ऐसी पोस्ट जो उनके पूर्वाग्रहों के हिसाब से होती है बिना तथ्य जाँचे आगे ठेल देते हैं। यह प्रवृत्ति ही इस फेक न्यूज़ के वायरल होने के पीछे मौजूद है। इधर सुधार होगा तो फेक न्यूज़ पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

चीन के दांत‌ तोड़ने की जरूरत

चीन का मसलाः नकाब के पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब करता