चीन को आर्थिक तरीके से चोट पहुंचाने की तैयारी

चीन को आर्थिक तरीके से चोट पहुंचाने की तैयारी 


 गलवान घाटी में चीन की हिमाकत से समूचे देश में नाराजगी का आलम है. यह नाराजगी अब व्यापारियों मे भी देखी जा रही है. व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कन्फेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन ने भारतीय बाजार में चीन के दबदबे को कम करने के लिए ठोस रणनीति बना ली है.

 कन्फेडेरेशन के बंगाल चैप्टर के चेयरमैन सुभाष चंद्र अग्रवाल ने कहा कि चीन से भारत में आयात होने वाले उत्पाद 5.25 लाख करोड़ रुपये का है. कन्फेडेरेशन के साथ देश के सात करोड़ व्यापारी सदस्य जुड़े हैं. यह कोशिश की जा रही है कि अगले डेढ़ वर्षों में आयात को कम से कम एक लाख करोड़ रुपये तक कम किया जाये.

 श्री अग्रवाल कहते हैं कि यह कटौती व्यापारियों के जरिये ही की जा सकती है. जब व्यापारी ही सामान आयात नहीं करेंगे तो बाजार में मिलेगें कैसे. लेकिन यह एकाएक नहीं हो सकता. इसके लिए वक्त की जरूरत है. ऐसे उत्पादों का चीन से आयात बंद किया जायेगा जिनका भारतीय विकल्प मौजूद है.

 भले भारतीय उत्पाद 10-15 फीसदी महंगा होगा लेकिन उसकी गुणवत्ता अच्छी होगी. चीनी सामान फौरी तौर पर भले सस्ता लग सकता है लेकिन वह महंगा ही होता है. वह जल्दी खराब हो जाता है. उसके बदले भारतीय सामानों की क्वालिटी काफी बेहतर होती है. लेकिन ऐसे कई सामान हैं जिसके लिए चीन पर वर्तमान में निर्भरता है. इनमें दवा उद्योग के लिए कच्चे माल से लेकर फैक्टरियों के उपकरण, उनकी तकनीक शामिल है. लेकिन डेढ़-दो वर्ष के भीतर इनका भी भारतीय विकल्प सामने आ जायेगा. यह पूछे जाने पर कि अब तक ऐसा क्यों नहीं किया गया, श्री अग्रवाल कहते हैं कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि चीन पर निर्भरता कम नहीं की गयी तो वह अंगरेजों की भांति हमारे देश में घुसपैठ करेगा. अब जब व्यापारियों ने ठान ली है तो यह होकर रहेगा. 

उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले आम लोग आखिर कैसे समझे कि कौन सा उत्पादन चीनी है और कौन नहीं, इस पर श्री अग्रवाल कहते हैं कि हर सामान पर टैग होता है. जिससे कि यह पता चलता है कि वह कहां बना है. इसके अलावा हर दुकान में जल्द ही तख्तियां लगी होंगी जिन पर लिखा होगा कि कौन सा सामान चीनी है और कौन सा नहीं. इसके अलावा भारतीय सामानों को बढ़ावा देने के लिए वह मास्क बना रहे हैं जिन्हें आम दुकानदार पहनेंगे जिन पर भारतीय सामानों को बढ़ावा देने के लिए संदेश होगा. ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले चाय-कॉफी के कपों में भारतीय सामानों को प्राथमिकता देने की अपील होगी. यह सबकुछ देश भर में किया जायेगा. डेढ़ वर्ष बाद वह चीन से आयात को और एक से डेढ़ लाख करोड़ रुपये कम करने की रणनीति बनायेंगे. 

टिप्पणियाँ

  1. यह एक अच्छी और समझदारी भरी पहल है। भावना में डूबकर नहीं रणनीति के साथ कार्य करेंगे तो ही यह सम्भव होगा। वरना अक्सर होता यहं है कि जैसे ही भावना का ज्वार बैठता है सब कुछ पहले जैसे हो जाता है।

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    1. जी..कई संगठन इसी दिशा में काम कर रहे हैं

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